Tuesday, 13 December 2016

महंगाई भत्ते (डीए) – केंद्र सरकार ने दिया कर्मचारियों को जोर का झटका धीरे से

महंगाई भत्ते (डीए) – केंद्र सरकार ने दिया कर्मचारियों को जोर का झटका धीरे से


केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को जोर का झटका धीमे से दिया। महंगाई भत्ते (डीए) में दो फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। महंगाई का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद कर्मचारियों को अब उतना लाभ नहीं मिलेगा, जितना छठवें वेतन आयोग में मिल रहा था। दरअसल, यह विसंगति डीए निर्धारण के फार्मूले में संशोधन किए जाने से उत्पन्न हुई है। कर्मचारियों के साथ पेंशनरों को भी इससे काफी नुकसान होगा और बढ़ती महंगाई के अनुपात में डीए का लाभ कम मिलेगा।

सातवें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की गई लेकिन यह बढ़ोतरी उतनी नहीं हुई, जितनी छठवें वेतन आयोग में हुई थी। ठीक यही स्थिति डीए की भी हुई। वर्षों से डीए की सटीक गणना कर रहे आल इंडिया ऑडिट एंड एकाउंट एसोसिएशन के पूर्व सहायक महासचिव हरिशंकर तिवारी का कहना है कि नया फार्मूला लागू होने से कर्मचारियों को प्रतिमाह न्यूनतम 130 रुपये और अधिकतम हजारों रुपये तक का नुकसान हुआ है।भले ही इस बार दो फीसदी डीए पूरे वेतन पर मिलेगा लेकिन यह बढ़ोतरी नाकाफी होगी। अगर छठवें वेतन आयोग के तहत पूर्व निर्धारित फार्मूले पर डीए की गणना होती तो कर्मचारियों को सात फीसदी डीए वृद्धि का लाभ मिलता। भले ही यह वृद्धि मूल वेतन पर मिलती लेकिन फायदा अधिक होता। सिर्फ कर्मचारी नहीं, पेंशनरों को भी इससे नुकसान होगा। उन्हें भी नई व्यवस्था में डीए वृद्धि का उतना लाभ नहीं मिलेगा, जितना पहले मिल रहा था।* छठवे वेतन आयोग में न्यूनतम मूल वेतन सात हजार रुपये था। सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी भी दिखावे की है। बढ़ोतरी तो महज 2240 रुपये की है। बाकी ग्रेड पे एवं अन्य मदों का भुगतान है, जिसका लाभ कर्मचारियों को पहले भी मिल रहा था। सरकार अब 18 हजार रुपये पर दो फीसदी डीए देने की बात कह रही है, जो 360 रुपये होते हैं।अगर छठवें वेतन आयोग के तहत डीए बढ़ोतरी होती तो उस वक्त लागू फार्मूले के आधार पर कर्मचारियों को मूल वेतन सात हजार रुपये पर सात फीसदी डीए वृद्धि यानी 490 रुपये का लाभ मिलता। ऐसे में कर्मचारियों को प्रतिमाह न्यूनतम 130 रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। जैसे-जैसे पद बढ़ता जाएगा, नुकसान की धनराशि भी उतनी अधिक होती जाएगी। पेंशनरों के साथ भी ठीक यही स्थिति है। उन्हें भी नए फार्मूले की विसंगति के कारण ऐसा ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

SOURCE – amar ujala

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