Monday, 27 March 2017

अगले दो वर्षों में कार्यबल में 10 फीसदी की कटौती कर सकता है एसबीआई (SBI)

अगले दो वर्षों में कार्यबल में 10 फीसदी की कटौती कर सकता है एसबीआई (SBI)

New Delhi: State Bank of India’s (SBI) total workforce will see a reduction over the next two years, after the merger with six entities, owing to attrition, reduced hiring and digitisation, a top official said.
“Manpower will go down with the period of time. Around 10 per cent reduction in two years may be a possibility,” SBI managing director Rajnish Kumar told news agency Indo-Asian News Service (IANS) in an interview.
Currently, the country’s largest bank has around 207,000 workforce and the merger of six entities – SBBJ (State Bank of Bikaner and Jaipur), SBM (State Bank of Mysore), SBT (State Bank of Travancore), SBP (State Bank of Patiala), SBH (State Bank of Hyderabad) and Bharatiya Mahila Bank – from April 1 will add approximately 70,000 employees.
“Post-merger we will be at 2,77,000 people in SBI. This may come down to 2,60,000 by March 2019. So it may be less than 10 per cent. Let us first merge and see the impact of the key process changes,” Mr Kumar said.
He said there would be some actual reduction in headcount along with re-assignment of the roles, but lay-offs are not an option.
“We have offered voluntary retirement scheme (VRS), there would be natural attritions and every year we may not replace head by head (replacement recruitment). Manpower will also reduce as a result of digital initiatives. There will be a combined effect,” he added.
Ruling out layoffs, he said the question does not arise.
“Two years down the line, these efficiencies will start showing. Reduction in manpower will depend on efficiency of the merger and branch networks. Lot of duplication happening will be removed and we will have more feet on the street (customer outreach programmes),” Mr Kumar told IANS.
Hiring in SBI may not be halted, but will reduce by 50 per cent in a year, he said. In 2016-17, the public sector bank hired 19,000 people.
“It will come down from the previous average of hiring. It could be reduced by 50 per cent. We will return to usual 5,000-6,000 recruitment every year,” he said.
“We cannot stop new hiring because it creates a lot of gap in the middle management down the line. But full replacement may not be required. If 13,000 people retire in a year, we may recruit 7,000-8,000 in a year,” he added.
Mr Kumar said the bank will continue with its policy of branch expansion, and the associate bank branches will be merged.
“There is a policy of branch expansion, we are governed by that. We keep on opening new branches depending on the business potential, that will not stop. We are working on the plan as to how many branches we will open in next two years,” he said.
The SBI official said there would be ample benefits from the merger in terms of cost-efficiency and rationalisation.
“Treasury integration, risk management optimisation will happen. It will result in efficiency gains for the bank. Continuously supporting them with capital will not be required. Initially, the costs may go up, but in the next two years… the rationalisation efficiencies will surface,” he said.

Hindi Version

देश में सर्वाधिक ऋण मुहैया कराने वाली सरकारी स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) संबद्ध छह बैंकों का विलय करने के बाद अगले दो वर्षो के दौरान अपने कार्यबल में कटौती कर सकता है. एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि विलय के बाद नए कर्मचारियों की नियुक्ति में कमी आ सकती है और डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है. एसबीआई के महाप्रबंधक रजनीश कुमार ने कहा, “समय के साथ कार्यबल में कमी आएगी. संभव है अगले दो वर्षों में हमारे कार्यबल में 10 फीसदी की कटौती हो.”
एसबीआई में इस समय करीब 207,000 कर्मचारी हैं तथा एक अप्रैल को छह संबद्ध बैंकों – बीकानेर एवं जयपुर स्टेट बैंक, मैसूर स्टेट बैंक, त्रावणकोर स्टेट बैंक, पटियाला स्टेट बैंक, हैदराबाद स्टेट बैंक और भारतीय महिला बैंक के विलय के बाद एसबीआई में करीब 70,000 कर्मचारी और बढ़ जाएंगे. रजनीश कुमार ने कहा, “विलय के बाद एसबीआई के कर्मचारियों की संख्या 2,77,000 हो जाएगी. यह संख्या मार्च, 2019 तक कम होकर 2,60,000 रह जाने की उम्मीद है. पहले विलय होने देते हैं और इससे पड़ने वाले फर्क को देखते हैं.” उन्होंने कहा, “हमने स्व-सेवानिवृत्ति की पेशकश दी है. इसके अलावा स्वाभाविक छंटनी भी होगी और हर वर्ष हम नौकरी छोड़ने वालों, सेवानिवृत्त होने वालों या स्व-सेवानिवृत्ति लेने वालों की भरपाई नहीं करेंगे. डिजिटलीकरण के चलते भी कार्यबल में कटौती होगी. इन सबका संयुक्त रूप से असर पड़ेगा.”
रजनीश ने हालांकि कर्मचारियों की छंटाई का खंडन करते हुए कहा कि इसका तो सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा, “दो साल के अंदर यह सारे असर दिखाई देने लगेंगे. विलय के बाद परिणाम पर कार्यबल में कटौती निर्भर करेगी. एक ही जिम्मेदारी के पद पर एक से अधिक कर्मचारियों को हटाया जाएगा और हम फील्ड कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएंगे.”
उन्होंने कहा कि इस दौरान नए कर्मचारियों की नियुक्ति रुकेगी नहीं, हालांकि इसमें 50 फीसदी की कमी जरूर आएगी. हम हर साल करीब 5,000-6,000 रिक्तियां निकालेंगे. राजनीश ने कहा, “हम नई नियुक्तियों को रोकेंगे नहीं, क्योंकि इससे निचले स्तर पर अंतराल पैदा होता है. लेकिन हर रिक्ती को भरने की जरूरत नहीं होगी. अगर किसी एक वर्ष में 13,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं, तो हम एक वर्ष में 7,000-8,000 नई नियुक्तियां करेंगे.” राजनीश ने हालांकि यह भी कहा कि एसबीआई अपनी शाखाओं का प्रसार जारी रखेगी और सहायक बैंकों की शाखाएं भी एसबीआई की शाखा श्रृंखला का हिस्सा बन जाएंगी.
Source: NDTV

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