7th Pay Commission – कर्मचारी नेताओं के साथ आज होगी अलाउंस समिति की अहम बैठक (Hindi & English Version)
Employee representatives and members of the 7th pay commission allowance committee will hold a crucial round of talks today, a top union official said. Employee representatives will later today hold another round of discussions with the Ashok Lavasa committee, which is looking into 7th pay commission allowances, Shiv Gopal Mishra, the convenor of National Joint Council of Action (NJCA), said.
The National Joint Council of Action or NJCA is a joint body of unions representing central government employees. The allowance committee related to 7th pay commission has already held over a dozen meetings so far with representatives of central nodal ministries, the staff side and other stake holders.
Minister of State for Finance Arjun Ram Meghwal recently clarified in Lok Sabha that the allowance committee related to 7th pay commission is examining the demands from various stakeholders. The allowance committee has taken more time than was initially prescribed in view of the large number of demands received, the minister clarified, adding that the allowance panel is in the process of finalising its report.
The government had in June accepted the recommendation of Justice AK Mathur-headed Seventh Pay Commission in respect of the hike in basic pay and pension. But the 7th pay commission’s recommendations relating to allowances were referred to the Ashok Lavasa committee. The Seventh Pay Commission had examined a total of 196 existing allowances and recommended abolition of 51 allowances and subsuming of 37 allowances.
With regard to allowances, employee unions have demanded HRA (house rent allowance) at the rate of 30 per cent, 20 per cent and 10 per cent. The Seventh Pay Commission had recommended that HRA be paid at the rate of 24 per cent, 16 per cent and 8 per cent of the new basic pay, depending on type of cities.
The 7th Pay Commission had also recommended that the rate of HRA be revised to 27 per cent, 18 per cent and 9 per cent, respectively when DA crosses 50 per cent, and further revised to 30 per cent, 20 per cent and 10 per cent when DA crosses 100 per cent.
Employee representatives are also likely to hold further rounds of discussions with another panel that is looking into NPS or National Pension Scheme, Mr Mishra added. Employee representatives earlier this month held a round of discussions with the NPS panel members, the top union official said. The government has constituted a separate committee for suggesting measures for streamlining the implementation of National Pension System (NPS).
Hindi Version
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की रिपोर्ट की सिफारिश के बाद अलाउंस को लेकर हुए विवाद के बाद सरकार द्वारा गठित समिति कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बात कर रही है. पिछले एक महीने में कई बार यह खबर आई की इस समिति ने बातचीत पूरी कर ली है और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. लेकिन बाद में फिर यह बात साफ हुई कि समिति अभी भी कर्मचारी प्रतिनिधियों से बात कर रही है.
सूत्रों का कहना है कि आज भी समिति की एक बैठक कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से होने जा रही है. इस बैठक में क्या निर्णय होगा. इस बारे में बैठक के बाद पता चलेगा. जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों को एचआरए, टीए-डीए के साथ-साथ कई और अलाउंस के मुद्दे पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आपत्ति है. उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों के शासन काल से चले आ रहे कई भत्तों को सातवें वेतन आयोग ने समाप्त कर दिया है. सातवें वेतन आयोग ने मौजूद 196 अलाउंस में अधिकतर को या तो समाप्त कर दिया या फिर उसे मिलाकर केवल 55 अलाउंस रखे हैं.
सातवें वेतन आयोग (seventh Pay Commission) की सिफारिशों पर केंद्रीय कर्मचारियों की आपत्तियों के निराकरण के लिए सरकार ने सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तीन समितियों को गठन किया था जिनको कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए अधिकृत किया गया था. इन समितियों में एक समिति वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व में बनाई गई थी. इसी समिति के पास अलाउंस का मुद्दा भी था. पहले कहा जा रहा था कि फरवरी की 22 तारीख को इस समिति की अंतिम बैठक हुई जिसमें कर्मचारियों से अंतिम बार अलाउंस के मुद्दे पर चर्चा की गई थी. अलाउंस समिति से बातचीत करने के लिए कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
माना जा रहा है कि सरकार ने ट्रांस्पोर्ट अलाउंस (यात्रा भत्ता) को दो भागों में बांटा है. एक सीसीए और दूसरा पूर्ववत की तरह दिया जाने वाला टीए है. यह पांचवें वेतन आयोग की भांति देय होगा, ऐसा माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि इनको डीए से अलग कर दिया जाएगा और यह फिक्स स्लैब रेट पर तय होगा.
यह भी कहा जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग को मानते हुए एचआरए की दर को छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से देने की बात को स्वीकार कर लिया है. दूसरा सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने एचआरए को कब से देने की बात को स्वीकार किया है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. क्या यह दर 1.1.16 से लागू की गई है या फिर 1.4.17 से यह लागू होगी. जहां तक कर्मचारियों का सवाल है वह इसे पिछले साल जनवरी से लागू करवाने की मांग करते रहे हैं और सरकार की ओर से कुछ समय पहले ऐसा इशारा मिला था कि सभी विवादित अलाउंस को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया जाएगा.
जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों की मांग है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए या फिर इसकी दर बढ़ाई जाए. केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में तय फॉर्मूला के हिसाब से एचआरए कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम मिलने लगा है.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं.
कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी एचआरए को 1 स्तर ऊपर करने को तैयार हुए हैं अब एचआरए 30%, 20% और 10% तक हो सकता है. वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि बड़े शहरों में इसे 30 प्रतिशत किया जा सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है.
कर्मचारी संगठन का कहना रहा है कि अगर सरकार ने एचआरए बढ़ाया नहीं है तो घटा कैसे सकती हैं. अपने तर्क के समर्थन में कर्मचारियं की दलील है कि क्या शहरों में मकान का किराया कम हुआ है. क्या मकान सस्ते हो गए हैं. जब यह नहीं हुआ है तो सरकार अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कैसे कर सकती है.
उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए ने गठित वेतन आयोग के समक्ष अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन में इस दर को क्रमश: 60%, 40% और 20% करने के लिए कहा था. संगठन का आरोप है कि आयोग ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह से ठुकरा दिया था. उनका कहना है कि वेतन आयोग ने इस रेट को छठे वेतन आयोग से भी कम कर दिया है. इनका कहना है कि क्योंकि इसे डीए के साथ जोड़ा गया है तो यह तभी बढ़ेगा जब डीए की दर तय प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.
जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई.
Source: NDTV
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