7th Pay Commission – एचआरए (HRA) पर फैसला अब सरकार के हाथ में – कर्मचारी नेताओं ने यह कहा.
The union officials of central government employees on Thursday held a meeting on Seventh Pay Commission allowances, according to Shiv Gopal Mishra, the convenor of National Joint Council of Action (NJCA), a joint body of unions representing central government employees. The union officials had held a final round of talks with members of the Ashok Lavasa panel on February 22 on 7th Pay Commission allowances, he said, adding that it is now up to the government to decide on Seventh Pay Commission allowances.
Government employees have been waiting for an announcement on allowances since the last eight months. The recommendations of the 7th Pay Commission were cleared by the Narendra Modi cabinet on June 29 last year.
During the first part of the Budget session, the Finance Minister made no mention of the 7th Pay Commission. Government employees had pinned their hopes on Jaitley’s Budget speech to hear some good news on hike in allowances.
Therefore, all eyes are now on the second part of the Budget session which commences on March 9 and will continue till April 12. The over month-long session will provide enough time to Arun Jaitley to make an announcement that will benefit nearly 50 lakh government employees.
A central government employees union leader condemned, the government has not released the higher allowances for central government employees for last seven months.
He said the higher allowances issue has affected about 48 lakh serving central government employees and 52 lakh pensioners, who could not pay their house rents, tuition fees of children, installments of home and vehicle loans and insurance premiums.
“We were promised in August, 2016 that the higher allowances (as per the 7th Pay Commission) would be given to us within four months, but we haven’t got its till now. Actually they do not intend to pay the higher allowances in time. In October last year, the Finance Secretary Ashok Lavasa, who is the head of the ‘Committee on Allowances’, said, he was ready with the report to submit the Finance Minister Arun Jaitley but Jaitley didn’t receive the report of allowances,”
However, the Finance Minister Arun Jaitley, promised to address the issue of higher allowances after the completion of the polls of the five states.
The sources said the Committee on Allowances report states the current HRA slab, which is 30 per cent of basic pay, for metros. An announcement on the same is expected soon.
Hindi Version
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) को लेकर कर्मचारी खुश हो या परेशान यह साफ खुद कर्मचारियों को नहीं हो पा रहा है. यह पहली बार है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट को लेकर कर्मचारी सात महीने से ज्यादा समय तक असमंजस की स्थिति में हैं.
ऐसा नहीं है कि पहले कभी वेतन आयोग की रिपोर्ट को लेकर विवाद नहीं हुआ. विवाद हुए थे, लेकिन समाधान का रास्ता निकला और दोनों पक्ष संतुष्ट दिखे. यह शायद पहली बार है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के लेकर कई मुद्दों पर कर्मचारियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई.
यह अलग बात है कि कर्मचारियों ने वेतन आयोग के गठन के बाद भी आयोग के समक्ष अपनी मांगें रखी थी. वह मांगें वहां पूरी नहीं हुई और वेतन आयोग ने अपनी ओर से संस्तुति कर दी. सरकार ने रिपोर्ट भी लागू कर दी और कर्मचारी एक बार अपनी मांगों के लेकर सरकार के दरबार में हाजिर हो गए.
जहां केंद्रीय कर्मचारियों की कई यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है और 6 मार्च को काला दिवस मनाने की घोषणा की है और अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो 16 मार्च को हड़ताल की चेतावनी दी है. वहीं, सरकार की ओर से अभी तक कोई ऐसा संकेत नहीं मिला है जिससे कर्मचारी वर्ग कोई राहत महसूस करे.
जिन मुद्दों को लेकर विवाद हुआ है उसमें कर्मचारियों के एचआरए की दर भी शामिल है. सरकार ने तमाम मुद्दों पर बातचीत के लिए तीन समितियों को गठन किया था जिनको कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए अधिकृत किया गया था. इन समितियों में एक समिति वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व में बनाई गई थी. इसी समिति के पास अलाउंस का मुद्दा भी था. कहा जा रहा है कि महीने की 22 तारीख को इस समिति की अंतिम बैठक हुई थी जिसमें कर्मचारियों से अंतिम बार अलाउंस के मुद्दे पर चर्चा पूरी की गई. अलाउंस समिति से बातचीत करने के लिए कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के 13 प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
सूत्र बता रहे हैं कि समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है. वहीं कुछ सूत्र कह रहे हैं कि अभी यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी नहीं गई है. वैसे तैयार रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा. जो भी कैबिनेट फैसाल लेगी वही लागू होगा. हालांकि रिपोर्ट के तथ्य अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं. यह भी साफ माना जा रहा है कि सरकार इस बारे में अपना फैसला 8 मार्च के बाद घोषित करेगी क्योंकि इस दिन देश में पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान होगा.
यह भी कहा जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग को मानते हुए एचआरए की दर को छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से देने की बात को स्वीकारा है. लेकिन कर्मचारी नेताओं के सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस बारे में सरकार की ओर से कोई भी इशारा नहीं मिला है और न ही ऐसी किसी बात पर अभी तक हुई चर्चाओं में कोई अंतिम निर्णय लिया गया है.
दूसरा सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने एचआरए को कब से देने की बात को स्वीकार किया है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. सातवां वेतन आयोग की रिपोर्ट 1.1.16 से लागू की गई है तो कर्मचारी यही मान रहे हैं कि एचआरए भी तभी से लागू होगा और कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा. यहां भी कर्मचारी नेताओं के साथ बातचीत में सरकार की ओर से कोई भी स्पष्ट नहीं है. आशंका है कि सरकार इस बातचीत के बाद रिपोर्ट को लागू करने का फैसला 1.4.17 से करे.
इस संबंध में जेसीएम नेता शिवगोपाल मिश्र ने बताया कि रिपोर्ट तैयार है और सरकार की ओर अधिकृत अधिकारियों ने रिपोर्ट के बारे में कुछ भी डिटेल कर्मचारियों के साथ बांटे नहीं हैं. कर्मचारियों में केवल उम्मीद और आशंकाएं हैं. मिश्र का कहना है कि एचआरए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए काफी अहम है. इससे ज्यादातर कर्मचारी सीधे प्रभावित होते हैं. उनका कहना है कि अधिकारी वर्ग के केंद्रीय कर्मचारियों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि इनमें अधिकतर सरकारी मकान का लाभ पाते हैं. जबकि तृतीय और चुतर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर एचआरए का सीधा असर पड़ता है. इसलिए मिश्र का कहना है कि सरकार के निर्णय का असर इस वर्ग पर सबसे ज्यादा पड़ेगा और सरकार को अपना निर्णय लेने से पहले इस वर्ग के कर्मचारी और उनके परिवार को बारे में सोचना चाहिए.
इससे पहले कर्मचारी नेता राघवैया ने बताया था कि सरकार की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं उसके हिसाब से सभी भत्ते जिनमें विवाद था और जिनपर सरकार से चर्चा हुई यह 1 जनवरी 2016 की बजाय 1 अप्रैल 2017 से लागू हो सकते हैं. उन्होंने बताया था कि 22 फरवरी को सभी अलाउंस को लेकर सरकार से अंतिम बार बातचीत हुई थी और कर्मचारियों की ओर से साफ कर दिया गया था कि एचआरए 30, 20, 10 के अनुपात में दिया जाना चाहिए. यह भी बात साफ है कि अलाउंस समिति ने सभी अलाउंसेस पर कर्मचारी नेताओं से बातचीत कर ली है.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं. अब जब अशोक लवासा समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और जल्द ही वित्तमंत्री अरुण जेटली इस रिपोर्ट पर कोई अंतिम फैसला सरकार की ओर से ले लेंगे.
बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी. कर्मचारियों का कहना है कि वह इस दर को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
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