Monday, 10 April 2017

7th Pay Commission – Cabinet may take report of committee on allowances next week

7th Pay Commission – Cabinet may take report of committee on allowances next week



नई दिल्ली: सातवां वेतन आयोग (7TH Pay Commission) कर्मचारियों के जितनी खुशियां लेकर आया उतनी ही दुविधाओं के साथ भी केंद्रीय कर्मचारियों को घेर दिया. इसके लागू होने के बाद से कई मुद्दों को लेकर कर्मचारियों ने अपनी नाराजगी जताई. न्यूनतम वेतन मान से लेकर कई अलाउंस तक के मुद्दों पर कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए सरकार ने समिति बनाकर उसका हल निकालने की कोशिश की. तीन समितियों में एक समिति अलाउंस को लेकर बनाई गई थी. वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में बनाई गई इस समिति की अब तक करीब 15 बैठकें हुई और 6 तारीख को इस समिति में कर्मचारियों की ओर से उनके प्रतिनिधि और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अंतिम दौर की बातचीत भी समाप्त हो गई.

कर्मचारी संगठनों के संयुक्त संघ एनसीजेसीएम के संयोजक शिव गोपाल मिश्र ने एनडीटीवी को बताया कि गुरुवार को अलाउंस समिति की अंतिम दौर की बैठक हुई जिसके बाद इस मुद्दे पर अब आगे और बातचीत नहीं होगी. मिश्र ने एनडीटीवी को बताया कि यह समिति अब दो-चार दिन में अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंप देगी. माना यह भी जा रहा है कि अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में यह रिपोर्ट प्रस्तुत हो सकती है. इस बैठक में निर्णय होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के लिए कोई अच्छी खबर आ सकती है.

उल्लेखनयी है कि समितियों की रिपोर्ट चार महीनों में आ जानी चाहिए थी लेकिन देरी के कारण केंद्रीय कर्मचारी नाराज हैं. इस संबंध में कर्मचारियों के नेता शिव गोपाल मिश्र ने कैबिनेट सचिव से मुलाकात भी की थी और सरकार को कर्मचारियों की भावनाओं से अवगत कराया था.

शिव गोपाल मिश्र ने पहले बताया था कि तीन तारीख को भी रेलमंत्री से मुलाकात की गई थी. इस बैठक में भी रेलवे कर्मचारियों की अलाउंस, मिनिमम वेज और फिटमेंट फॉर्मूला, एनपीएस और पेंशन को लेकर भारी रोष के बारे में रेलमंत्री सहित अन्य बड़े अधिकारियों को जानकारी दी गई थी.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं.

जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई.

अब तक 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी के बाद उठे सवालों के समाधान के लिए सरकार की ओर से तीन समितियों के गठन का ऐलान किया गया था. सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में अलाउंस को लेकर हुए विवाद से जुड़ी एक समिति, दूसरी समिति पेंशन को लेकर और तीसरी समिति वेतनमान में कथित विसंगतियों को लेकर बनाई गई थी.

सबसे अहम समिति विसंगतियों को लेकर बनाई गई है. इस एनोमली समिति का नाम दिया गया है. इसी समिति के पास न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी है. चतुर्थ श्रेणियों के कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान का मुद्दा भी इस तीसरी समिति का पास है. यही समिति न्यूनतम वेतनमान को बढ़ाने की मांग करने वाले कर्मचारी संगठनों से बात कर रही है. वित्त सचिव की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया है. समिति में छह मंत्रालयों के सचिव शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों की ओर कर्मचारी संगठन ने मांग की है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए. संगठन ने सचिवों की समिति से कहा है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस को महंगाई के हिसाब से रेश्नलाइज किया जाये. संगठन ने सरकार से यह मांग की है कि बच्चों की शिक्षा के लिए दिया जाने वाले अलाउंस को कम से कम 3000 रुपये रखा जाए. संगठन ने मेडिकल अलाउंस की रकम भी 2000 रुपये करने की मांग की है. संगठन ने सरकार से यह भी कहा है कि कई अलाउंस जो सातवें वेतन आयोग ने समाप्त किए हैं उनपर पुनर्विचार किया जाए.

माना जा रहा है कि सरकार ने ट्रांस्पोर्ट अलाउंस (यात्रा भत्ता) को दो भागों में बांटा है. एक सीसीए और दूसरा पूर्ववत की तरह दिया जाने वाला टीए है. यह पांचवें वेतन आयोग की भांति देय होगा, ऐसा माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि इनको डीए से अलग कर दिया जाएगा और यह फिक्स स्लैब रेट पर तय होगा.

सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने एचआरए को कब से देने की बात को स्वीकार किया है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. क्या यह दर 1.1.16 से लागू की गई है या फिर 1.4.17 से यह लागू होगी. जहां तक कर्मचारियों का सवाल है वह इसे पिछले साल जनवरी से लागू करवाने की मांग करते रहे हैं और सरकार की ओर से कुछ समय पहले ऐसा इशारा मिला था कि सभी विवादित अलाउंस को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया जाएगा.

जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों की मांग है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए या फिर इसकी दर बढ़ाई जाए. केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में तय फॉर्मूला के हिसाब से एचआरए कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम मिलने लगा है.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं.

कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी एचआरए को 1 स्तर ऊपर करने को तैयार हुए हैं अब एचआरए 30%, 20% और 10% तक हो सकता है. वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि बड़े शहरों में इसे 30 प्रतिशत किया जा सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है.

कर्मचारी संगठन का कहना रहा है कि अगर सरकार ने एचआरए बढ़ाया नहीं है तो घटा कैसे सकती हैं. अपने तर्क के समर्थन में कर्मचारियं की दलील है कि क्या शहरों में मकान का किराया कम हुआ है. क्या मकान सस्ते हो गए हैं. जब यह नहीं हुआ है तो सरकार अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कैसे कर सकती है.

बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी.

उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए ने गठित वेतन आयोग के समक्ष अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन में इस दर को क्रमश: 60%, 40% और 20% करने के लिए कहा था. संगठन का आरोप है कि आयोग ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह से ठुकरा दिया था. उनका कहना है कि वेतन आयोग ने इस रेट को छठे वेतन आयोग से भी कम कर दिया है. इनका कहना है कि क्योंकि इसे डीए के साथ जोड़ा गया है तो यह तभी बढ़ेगा जब डीए की दर तय प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.

जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों की कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना था लेकिन अभी तक केवल अलाउंस समिति की ही अंतिम बैठक हुई है.

Source:- NDTV INDIA

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