7th Pay Commission – आयोग के मकान किराये एवं अन्य भत्तों पर बनी कमिटी की बैठकों का सिलसिला थमा अब क्या होगा इसके आगे ?
केन्दीय कर्मचारियों के लिए अच्छें दिन आने वाले हैं. सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार मकान किराया एवं अन्य भत्तों के जॉंच के लिए सरकार द्वारा वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में गठित कमिटी की अंतिम बैठक दिनांक 06 अप्रैल, 2017 को संपन्न हुई. नेशनल काउंसिल स्टाफ साईड, जे.सी.एम. के सचिव श्री शिवा गोपाल मिश्रा ने अपने वेबसाईट द्वारा यह सूचित किया है कि भत्तों के जॉंच के लिए गठित कमिटी की कल हुई बैठक अंतिम बैठक थी और अगले एक सप्ताह के अंदर कमिटी अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंप देगी.
इससे पूर्व श्री मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से मिलकर भत्तों पर बनी कमिटी की रिपोर्ट में आ रही देरी पर कर्मचारियों के रोष के बारे में बताया था. इसपर कैबिनेट सचिव ने यह आश्वासन दिया कि ज्यों ही कमिटी की रिपोर्ट आयेगी वे कैबिनेट को सौंप देंगें साथ ही रिपोर्ट लागू करने के लिए चुनाव आयोग को भी लिखेंगे.
एक नजर अब तक के घटनाक्रम के विश्लेषण पर
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी थी जिसकी जॉंच के लिए वित्त मंत्रालय के वेतन इंप्लीमेंटेशन सेल ने काम करना शुरू कर दिया. मिडिया में खबर आने लगी कि 1 जनवरी, 2016 को सिफारिशें लागू हो जाएंगी. उस दौरान यूनियन नेताओं ने सातवें वेतन आयोग की कई सिफारिशों पर जैसे नयूनतम वेतन की गणना, फिटमेंट फार्मूला, भत्तों के बंद करने आदि पर आपत्तियॉं दर्ज करायी थी. फिर सरकार ने एक इम्पावर्ड कमिटी का गठन किया और वेतन आयोग का मामला उसके हवाले किया.
फिर मिडिया में आकलन आने शुरू हुए कि संसद सत्र से पूर्व घोषणा होगी, संसद सत्र के बाद घोषणा होगी, 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा, 1 जून से लागू किया जाएगा, इंपावर्ड कमिटी ने वेतन आयोग की सिफारिशों में 30 प्रतिशत की वृद्धि की है आदि आदि, सभी अनुमान मंत्रालय द्वारा विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त करने के दावे के साथ किये गये थे, परंतु इस सबसे इतर सरकार ने आर.बी.आई. की फिस्कल रिपोर्ट और अन्य आर्थिक रिपोर्ट पर नजर रखी और न्यूनतम आर्थिक भार का रास्ता चुना. जून, 2016 के अंत में कैबिनेट द्वारा इंपावर्ड कमिटी को भूलते हुए वेतन आयोग की सिफारिशों पर निर्णय दिया गया जिसमें मूल वेतन पर की गयी सिफारिशों को करीब करीब ज्यों का त्यों लागू कर दिया गया अन्य आर्थिक भार पर कई कमिटी बिठा दी गयी जिसमें भत्तों की सिफारिशों पर जॉंच के लिए भी वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बनी. कमिटी को चार महीने का समय दिया गया.
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के रिपार्ट के 16 महीने के बाद भी भत्तों पर असमंजस और 9 महीने से भत्तों पर नुकसान
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के रिपोर्ट सौंपने के बाद, महीने का समय बीत चूका है और भत्तों पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल तो है ही साथ ही साथ सातवें वेतन आयोग के लागू होने से अब तक भत्तों की बढ़ोतरी का भी नुकसान हो रहा है. सातवें वेतन आयोग के वेतन की सिफारिशों को जुलाई, 2016 के वित्त मंत्रालय के रिजोल्युशन द्वारा पूर्वापेक्षी प्रभाव यानि 01 जनवरी 2016 से लागू कर दिया गया परन्तु भत्तों पर लंबित निर्णय के कारण जुलाई, 2016 से अबतक 9 महीने का नुकसान हो चुका है. छठे वेतन आयोग में सितम्बर, 2008 से बढ़े हुए भत्ते लाभ मिला था जोकि कुल 20 महीने का नुकसान था.
मकान किराया भत्ता और ट्रांसपोर्ट एलाउंस के बकाये और बढ़ोतरी पर है नजर
समिति के साथ बैठक में कर्मचारी नेताओं और संगठनों ने मांग की है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए. संगठन ने सचिवों की समिति से कहा है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस को महंगाई के हिसाब से रेश्नलाइज किया जाये. संगठन ने सरकार से यह मांग की है कि बच्चों की शिक्षा के लिए दिया जाने वाले अलाउंस को कम से कम 3000 रुपये रखा जाए. संगठन ने मेडिकल अलाउंस की रकम भी 2000 रुपये करने की मांग की है.
संगठन ने सरकार से यह भी कहा है कि कई अलाउंस जो सातवें वेतन आयोग ने समाप्त किए हैं उनपर पुनर्विचार किया जाए. मिडिया में चल रही खबरों के अनुसार समय बीतने के मुआवजे के रूप सरकार मकान किराये भत्ते को वेतन आयोग की 24, 16, 8 प्रतिशत की सिफारिश और यूनियन के 30, 20, 10 प्रतिशत के मांग के बीच का रास्ता अपनाएगी अर्थात् 27, 18, 9 प्रतिशत की दर से मकान किराया भत्ता लागू करेगी। कई बार तो मिडिया में यह भी खबर आयी है कि सरकार भत्तों को पूर्वापेक्षी प्रभाव से लागू करेगी और भत्तों पर एरियर भी देगी. सभी खबरें मंत्रालय के विश्वस्त सुत्रों के हवाले से ही प्रसारित की जा रही हैं.
क्या है सातवें वेतन आयोग के लागू होने की वर्तमान स्थिति
सातवें वेतन आयोग (7th Pay commission) की सिफारिशें अब तक पूर्ण रूप से लागू नहीं हुई हैं. कर्मचारियों के कई वर्ग में तो छठा वेतन आयोग ही चल रहा है, जैसे सैनिकों को, केन्द्रीय स्वायत्त संस्थानों आदि में. सैनिकों को तो अंतरिम राहत के रूप में मूल वेतन के 10 प्रतिशत के बराबर राशि दी जा रही है तो स्वायत्त संस्थानों को अपने संसाधनों से नया वेतन लागू करने को कहा गया है. पेंशनरों के मामले में भी सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू नहीं किया गया सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में पेंशनरों की एनोमली को समाप्त करने के लिए एक रैंक एक पेंशन की सिफारिश पर भी कमिटी बिठाई गयी है. हालांकि जे सी एम को दिये आश्वासन में कैबिनेट सेक्रेटरी ने कहा है कि पेंशन पर बनी कमिटी की रिपोर्ट आ चुकी हैै.
क्या है सातवें वेतन आयोग की लंबित सिफारिशों का भविष्य
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा ? – जब सरकार आर्थिक भार को देखकर फूंक फूंक कर कदम रखती आयी है तो क्या होगा सरकार का अगला कदम? पूर्व में सरकार मकान किराये भत्ते की बढ़ोतरी को टाल दिया था अब भी आर.बी.आई. की ताजा रिपोर्ट सरकार को चेतावनी दे रही है. ऐसे में कई सवाल हैं जैसे कि
— क्या सरकार सातवें वेतन आयोग के मकान किराये एवं अन्य भत्ते की सिफारिशों को तुरंत लागू करेगी ?
— क्या सरकार भत्तों की बढ़ोतरी से पूर्व सैनिकों के लिए सातवें वेतन आयोग लाएगी ?
— क्या सरकार पहले प्राप्त हो चुके पेंशन की कमिटी के रिपोर्ट पर निर्णय पहले लेगी ?
— क्या सरकार मकान किराये भत्ते की प्रतिशतता कर्मचारियों के मांग के अनुसार बढ़ायेगी ?
— क्या सरकार भत्तों का एरियर देगी ?
ऐसे कई सवाल हैं जिसका सही जवाब सरकार का अगला कदम ही देगी फिलहाल मिडिया में आ रही विभिन्न आकलनों पर नजर रखी जा सकती जो पहले तो मंत्रालय के विश्वस्त सुत्रों के अनुसार होते हैं परंतु समय के साथ बदलते रहे हैं.
अंत में
परमन्यूजटीम का यही कहना है कि सरकार भत्तों पर अब निर्णय आसानी से ले सकती है और सैनिकों के लिए सातवेें वेतन आयोग के लागू करने के साथ ही सरकार को भत्तों पर निर्णय लेना चाहिए. भत्तों पर एरियर की संभावना बहुत कम है क्योंकि जिन भत्तों को समाप्त करने की बात की गयी है उसकी वसूली की अवधारणा भी पूर्णत: संभव नहीं है. सरकार के पूर्व के कदम और आर्थिक भार को मकान किराये भत्ते की सिफारिशों में बढ़ोतरी की कल्पना करना भी मुश्किल है.
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