Don’t do these mistakes while filling Income Tax Return
आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं तो गत वित्त वर्ष में आपके वेतन के रूप में हुई आमदनी व उस पर काटे गए टैक्स के आधार पर नियोक्ता द्वारा आपको फार्म 16 मिल गया होगा। जिन लोगों को नहीं मिला है उन्हें संभवत: जल्द ही मिल जाएगा। जो लोग फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं या फिर सलाहकार के रूप में दूसरों को अपनी सेवाएं देते हैं तो उनके पारिश्रमिक पर काटे गए आयकर के आधार पर फार्म 16ए दिया जाता है। इसे टीडीएस र्सटििफकेट भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त आपके फिक्स्ड डिपाजिट पर यदि टीडीएस काटा गया है तो उसके लिए भी आपको बैंक या वित्तीय संस्था से टीडीएस र्सटििफकेट मिल जाता है। आपका जो टैक्स काटा जाता है और जब वह सरकारी खजाने में जमा हो जाता है तो उसकी जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है।
31 मार्च को वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद बारी आती है आईटीआर फाइल करने की। आईटीआर भरते समय अनजाने में भी यदि आपसे कोई चूक हो जाती है तो आपका आईटीआर डिफेक्टिव घोषित कर दिया जाता है। सामान्य तौर पर जिन गलतियों की आशंका रहती है उनका विवरण कुछ इस प्रकार है-गलत फार्म का चयनआईटीआर फाइल करते वक्त सबसे पहला बिंदु है सही फार्म का चयन। आपकी आय के स्रेत के आधार पर आपके लिए सही फार्म का चुनाव करना आवश्यक है। निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए सात तरह के फार्म जारी किए गए हैं।
ऐसे वेतनभोगी कर्मचारी जिनकी कुल आमदनी 50 लाख रपए से कम है और यदि उनके पास एक से अधिक घर नहीं है तो उन्हें आईटीआर-1 फाइल कर सकते हैं। किंतु ऐसे वेतनभोगी कर्मचारी किनकी आय 50 लाख से अधिक है या फिर जिनके पास एक से अधिक घर है उन्हें आईटीआर-2 फार्म भरना होगा। जिन लोगों की अपने निजी व्यापार या व्यवसाय से आमदनी है उन्हें आईटीआर-3 भरना होगा। गलत आईटीआर फार्म का चुनाव आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।सही आय घोषित न करनानियोक्ता केवल आपके वेतन पर टैक्स काटता है और वेतनभोगी कर्मचारी कई बार केवल फार्म 16 के आधार पर अपना रिटर्न दाखिल कर देता है जबकि हो सकता है की उसके दूसरे स्रेत जैसे कि घर से किराए के रूप में आमदनी, शेयर या म्यूचुअल फंड से हुए मुनाफे पर निर्धारित कैपिटल गेन, गिफ्ट या फिर एफडी पर अर्जित ब्याज की रकम इत्यादि से भी आमदनी हो।
यदि आपने एक वित्त वर्ष के दौरान एक जगह से नौकरी छोड़कर दूसरी जगह शुरू की है है तो दोनों जगह से मिले हुए वेतन का विवरण आपको आईटीआर में भरना होगा। जरूरी है फार्म 16 के साथ-साथ आप अपना फार्म 26 एएस जो कि आपको इनकम टैक्स ई-फाइलिंग की वेबसाइट से मिल जाता है, उसे भी देखें। साथ ही सारे स्रेतों से अर्जित आय को संयोजित करके ही रिटर्न फाइल करें। यदि इनकम टैक्स अधिकारी को पता चलता है कि आपने टैक्स चोरी करने के इरादे से अपनी आय छिपाई है तो आपको आयकर तो ब्याज के साथ चुकाना ही होगा, साथ ही आयकर की राशि का 200 फीसद जुर्माना देना होगा।छूट का विवरण सही न भरनाआयकर की विशेष धाराओं के अंतर्गत आयकर में छूट का प्रावधान है। यदि आप छूट पाने के लिए निर्धारित दस्तावेज अपने नियोक्ता को देने से चूक गए हैं तो अब भी वक्त है कि आप आयकर रिटर्न फाइल करते समय उसका लाभ ले सकते हैं। वेतनभोगी कर्मचारियों के अलावा दूसरे करदाता के पास तो यही अवसर है कि वे आईटीआर फार्म में कटौती का विवरण सही-सही भरकर आयकर में छूट का लाभ ले। यदि कटौती को फार्म में दिए गए सुनिश्चित स्थान पर नहीं भरा तो फिर आप आयकर में मिलने वाली छूट से वंचित रह जाएंगे।टैक्स का भुगतान न करनासभी सोत्रों से मिलने वाली आय को संयोजित करके जब आप अपना रिटर्न भरेंगे तो हो सकता है कि आपको कुछ टैक्स भरना पड़े। इसे सेल्फ असेसमेंट टैक्स के नाम से जाना जाता है।
आप इनकम टैक्स इंडिया की वेबसाइट पर जाकर यह टैक्स अपने बैंक अकाउंट से आनलाइन टैक्स भर सकते हैं या फिर चालान 280 भर कर बैंक में भी यह टैक्स जमा करा सकता है।टैक्स भरने के बाद चालान का नंबर व अन्य मांगी गई जानकारी फार्म में दिए गए सुनिश्चित स्थान पर भरना न भूलें। अन्यथा टैक्स भरने के बाद भी इसका लाभ आपको नहीं मिलेगा और आपका आईटीआर डिफेक्टिव घोषित करके रद्द कर दिया जाएगा।आईटीआर वेरिफिकेशन न करनाआईटीआर फार्म भरने के बाद जब आप उसे इनकम टैक्स ई-फाइलिंग की वेबसाइट पर अपलोड करते हैं तो उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है। इसके लिए या तो आईटीआर-वी आपको सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर, बेंगलुरू भेजना होगा या फिर आसान तरीका है कि आप अपने आधार नंबर के जरिए उसका ई-वेरिफिकेशन कर दें। आईटीआर फाइल करने के बाद एक सुनिचित समय के भीतर वेरिफिकेशन न कराने पर आटीआर रद्द हो जाता है।
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