Thursday, 17 January 2019

डाकघर से मकर संक्रांति पर आप उठा सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम का फायदा, जानिए अपने मतलब की हर बात

डाकघर से मकर संक्रांति पर आप उठा सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम का फायदा, जानिए अपने मतलब की हर बात

मकर संक्रांति के मौके पर सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम का पांचवां संस्करण 14 जनवरी 2019 को जारी हो चुका है। डाकघर से मकर संक्रांति पर आप उठा सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम का फायदा, जानिए अपने मतलब की हर बात यह स्कीम आपको पेपर गोल्ड में निवेश का मौका देती है, साथ ही आप इससे सोने को बनवाने की लागत और इसके सुरक्षित भंडारण के झंझट से भी मुक्ति पा सकते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम नवंबर 2015 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य सोने की फिजिकल डिमांड को कम करना और घरेलू बचत में कुछ हिस्सा वित्तीय परिसंपत्तियों में बदलना है।


गोल्ड ईटीएफ के अलावा, ये बॉण्ड एक दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सोने को जमा करने का विकल्प प्रदान करते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड स्कीम 2018-19 का पांचवां संस्करण सब्सक्रिप्शन के लिए 14 जनवरी 2019 से खुल चुका है और यह 18 जनवरी 2019 तक खुला रहेगा। इस बॉण्ड की नॉमिनल वैल्यू 3,214 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है।

ऑनलाइन आवेदन करने वालों को मिलेगा फायदा: जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस स्कीम में ऑनलाइन आवेदन करने वालों को फायदा मिलेगा। डिजिटल मोड के माध्यम से भुगतान करने वाले या ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम के आधार पर डिस्काउंट दिया जा रहा है। ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉण्ड का निर्गम मूल्य (ईश्यू प्राइज) 3,164 रुपये रखा गया है। गोल्ड ईटीएफ में आपके निवेश के विपरीत, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश की गई मूल राशि पर निवेशकों को प्रति वर्ष 2.50 फीसद की निश्चित ब्याज दर मिलती है।

कहां से कर सकते हैं खरीद: केवल भारत में रहने वाले लोगों को ही इसमे निवेश की अनुमति है। इस बॉण्ड की बिक्री बैंक, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), अधिकृत पोस्ट ऑफिस और अधिकृत स्टॉक एक्सचेंज (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के माध्यम से की जा रही है।

खरीदा जा सकता है कितना सोना?यह बॉण्ड ग्राम के गुणकों में होगा, जिसकी बेसिक यूनिट 1 ग्राम की है। इसमें न्यूनतम निवेश की सीमा 1 ग्राम की है। वहीं एक व्यक्ति अधिकतम 4 किलोग्राम बॉण्ड को सब्सक्राइब्ड कर सकता है। वहीं हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के लिए भी इसकी सीमा 4 किलोग्राम की है, जबकि ट्रस्ट या संगठन के लिए यह सीमा 20 किलोग्राम की है।

सोने की शुद्धता और कैसे तय होती है कीमत?जैसा कि यह एक सरकारी योजना है लिहाजा निवेशकों को इसमें शुद्धता की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यह एक तरह से सरकार की गारंटी होती है जो कि हमेशा सकारात्मक रिटर्न ही देता है। सप्ताह के अंतिम तीन कारोबारी दिनों में 99.9 फीसद शुद्धता वाले सोने की कीमत के आधार पर ही गोल्ड बॉण्ड की नॉमिनल वैल्यू तय होती है। 9 जनवरी से 11 जनवरी के लिए इसकी कीमत 3,214 रुपये रही।

क्या आपको निवेश करना चाहिए?

जैसा कि इस बॉण्ड की मैच्योरिटी अवधि 8 वर्षों की है। 
हालांकि अगर आप समय से पहले बॉण्ड की निकासी करना चाहते हैं तो आप ऐसा निवेश के 5वें, छठे और सातवें साल में कर सकते हैं। इसलिए निवेश करने से पहले ध्यान रखें कि आप जहां निवेश करने जा रहे हैं वो कम से कम 5 वर्षों के लिए ब्लॉक हो जाएगा। अधिकांश निवेशक यह सलाह देते हैं कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10 फीसद से अधिक हिस्सा गोल्ड में निवेश नही करना चाहिए। वहीं अगर आप इसे मैच्योरिटी तक होल्ड करके रखना चाहते हैं तो आपको पिछले संस्करण के रिटर्न पर गौर करना चाहिए।

क्यों है फायदेमंद?

गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने पर अच्छा ब्याज मिलता है। इसमें ब्याज सहित सोने की कीमतों में आई तेजी के अनुसार रिटर्न भी मिलता है। इसमें निवेश करने से डीमैट और ईटीएफ जैसे कोई शुल्क नहीं लगाए जाते हैं।

पिटल गेन टैक्स की भी हो सकती है बचत: 

गोल्ड बॉण्ड की कीमतें सोने की कीमतों में अस्थिरता पर निर्भर करती है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देता है। इस अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार लंबी अवधि वाले गोल्ड बॉण्ड जारी कर रही है। इसमें निवेश की अवधि 8 वर्ष होती है, लेकिन आप 5 वर्ष के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं। पांच वर्ष के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है।

0 comments:

Post a Comment